Friday 17 October 2014

दीनदयाल शर्मा - राजस्थानी बाल कवितावां

दीनदयाल शर्मा - राजस्थानी बाल कवितावां

सूरज आवै /  

अगूणै पासै स्यूं  जद सूरज आवै,
मधरी-मधरी चालै पून।
चूं -चूं  चिड़कल्यां गीत सुणावै,
मिटज्यै च्यारूंमेर रौ मून।
खेतीखड़ सै' खेत नै जावै,
गीत गांवता काडै टून।
गांवां री गुवाड़ सै' गायब हुयगी,
बतळावण नै बणग्या फून।
रळमिल टाबर पोसाळां जावै,
पढ-लिख सुधारै मिनखाजून।

ताक धिनाधिन  /  

ताक धिनाधिन
नाचां-गावां,
रापटरोळी
घणी मचावां।
जात-पांत
मानां नीं म्हे तो
सगळी चीज्यां
रळमिल खावां।
बंटवारै में
कांईं पड़्यो है
आओ आपां
मेळ करावां।।

रूंख लगावां /  

आओ आपां रूंख लगावां,
मरूधर में हरियाळी ल्यावां।
रूंख लगायां बिरखा आवै,
टाबर न्हावै नाचै-गावै।
तावडिय़ै में ठण्डी छिंयां,
मधरी-मधरी पून सुहावै।
रूंख देवै फळ मीठा-मीठा,
टाबरियां संग आपां खावां।
भांत-भांत रा पाखी आवै,
रूंखां माथै बै' बस ज्यावै।
रळमिल सगळा मन में ध्यावां,
आओ आपां रूंख लगावां।।

बादळ बरस्या /  

बड़बड़-बड़बड़ बादळ बरस्या,
घर आंगणियां तर करग्या।
टर्र-टर्र डेडरिया बोल्या,
ताल तलैया सै' भरग्या।
दड़बड़-दड़बड़ टाबर भाजै,
कादै स्यूं  कपड़ा भरग्या।
करड़-करड़ जद बिजळी चमकी,
टाबरिया सगळा डरग्या।
खेतां में हरियाळी पसरी,
धान-कोठळा सै' भरग्या।।

रेलगाडी /  

रेलगाडी म्हारी रेलगाडी
छुक-छुक-छुक-छुक-छुक-छुक चालै रेलगाडी।
रेलगाडी चालै जद हिण्डा घणां आवै,
नाव सरीखी चालै रेलगाडी।
बैठां रेलगाडी में नाचां-कूदां-गावां,
कदी नीं हिचकौळा खावै रेलगाडी।
सस्तो-सोरो सफर हुवै रेलगाडी,
छोटा-मोटा सगळा चावै रेलगाडी।
दिल्ली-मुंबई-चैन्नई-कोलकाता जावै,
आखै देश चालै म्हारी रेलगाडी।।

जलम दिन रौ गिफ्ट /  

जलम दिन माथै गिफ्ट ल्यावो तो,
म्हूं  रोबोट मंगा स्यूं पापा।
जे नीं ल्याया रोबोट गिफ्ट में,
जलम दिन नहीं मना स्यूं  पापा।
होमवर्क रोबोट करैगो,
खुद नै नीं थका स्यूं पापा।
म्हंू चायै खेलूं या कदी सोऊं,
उणनै काम लगा स्यूं  पापा।।

अकड़ू ऊंदर /  

अकड़ू ऊंदर बोल्यो-मम्मी,
म्हूं  भी पतंग उड़ाऊंगो।
लोहै जिसी मजबूत डोर स्यूं
म्हूं  भी पेच लड़ाऊंगो।
मम्मी बोली-तंू टाबर है,
बात पेच री कर्या नां कर।
बारै बिल्ली घूमण लागरी,
कीं तो उण स्यूं  डर्या भी कर।
अकड़ू बोल्यो- बिल्ली के है,
बीं स्यूं  करूंगा  'फेस'।
म्हूं  भी पै'र राखी है मम्मी
कांटां वाळी ड्रेस।

मन स्यूं  अेक हां /  

अळगा-अळगा भेष आपणां
पण सै' मन स्यूं  अेक हां।
अळगी-अळगी भाषा अपणी
पण भावां स्यूं  अेक हां।
अळगा-अळगा धरम आपणां
अळगा-अळगा पंथ है।
चोखी बातां बतळावणियां
सब धरमां रा संत है।
होळी-दियाळी-ईद-बैसाखी
रळमिल साथ मनावां हां।
तीज त्यूंहार  है अळगा-अळगा
इक दूजै घर जावां हां।
खान-पान सै' अळगा-अळगा
अळगी-अळगी रीत है।
पण दुखड़ां में काम सै' आवै
इक दूजै स्यूं  प्रीत है।।

ऊंदर चाल्यो सासरै /  

ऊंदर चाल्यो सासरै,
लियां हाथ में सोटी।
माऊ चोखी चूर दी,
देसी घी में रोटी।
रस्तै में जणां मिनकी मिलगी,
गयो लो'ई बींरो सूक।
इन्नै-बीन्नै देखण लाग्यो,
गिटण लाग्यो थूक।
मिनकी बोली-क्यूं घबरावै,
चटकै ल्या घरवाळी।
आंवतो आई फेर मनास्यां,
आपां सैंग दियाळी।।

भारत देश महान् /  

नान्हा-नान्हा टाबर हां म्हे,
द्यो विद्या रौ दान।
पढ-लिख सगळा मिनख बणांला,
करस्यां म्हे गुणगान।
नूंई - नूंई बातां म्हे सीखां,
बधसी म्हारो ग्यान।
चोखा-चोखा काम करांगा,
रचस्यां नूंवो विधान।
आखै जग में हुयसी आपणो,
भारत देश महान्।।

बांदर गयो मेळै में /  

बांदर गयो मेळै में,
खरीदी बठै कार।
ड्राइविंग सीट पे बैठग्यो,
मूंछ्यां  नै पलार।
लगाई जणां चाबी,
रेस थोड़ी दाबी।
पण कार स्टार्ट नीं होई,
केठा कांईं ही खराबी।
पछै दिराया धक्का,
पण जाम हुयग्या चक्का।
फेर दिमाक लगायो,
अेक आइडियो आयो।
खरीद्या बण फंूकणां,
बांध्या सगळा कार।
पछै हेलीकॉप्टर बणा'र,
उणनै लेग्यो घरां उडा'र।।

सरदी /  

सरदी आई- सरदी आई,
ओढां कम्बळ और रजाई।
ज्यूँ  - ज्यूँ सरदी बधती जावै,
गाभां री म्हे करां लदाई।
रळमिल सगळा आग तापता,
रात-रात तांईं करां हथाई।
भांत-भांत रा लाडू खायगे,
सरदी माथै करां चढाई।
सूरज निकळ्यो धूप सुहाई,
पाळै री अब स्यामत आई।
फागण आयो होळी आई,
सरदी री म्हे करां बिदाई।।

होळी /  

रंगां रौ त्यूंहार  जद आवै,
टाबर टोळी रै मन भावै।
काळो-पीळो-लाल-गुलाबी,
रंग आपस में घणो रचावै।
कई भायला भर पिचकारी,
गाभा रंग स्यूं  तर कर ज्यावै।
रळमिल खेलै जीजो-साळी,
गाल मलै, गुलाल लगावै।
भाभी देवर हंस-हंस खेलै,
सगळा दुख छिण में उड ज्यावै।
सिकलां सगळी अेकसी लागै,
कुणसो कुण पिछाण नीं पावै।
बुरो न मानै इण दिन कोई,
सगळाई रंग में रच ज्यावै।।

जीवणदाता रूंख /  

तूफानां स्यूं डरा म्हे कोनी,
रूंख म्हानै बतळावै।
पतझड़ में पत्ता झड़ ज्यावै,
फेर ई अै मुस्कावै।
पतझड़ पछै बसंत जद आवै,
डाळ-डाळ हरियाळी छावै।
ढेरूं फळ आं पर आ ज्यावै,
फेर ई अै झुक ज्यावै।
रूंख है म्हारा जीवणदाता,
इणां स्यूं  जनम-जनम रा नाता।
भेदभाव नीं किणी रै साथै,
ठण्डी छांव लुटावै।।

चाँद मामो /  

आभै में चमकै सै' तारा,
म्हानै लागै सै' स्यूं   प्यारा।
इणां बिचाळै चाँद अेकलो,
करै च्यानणो सैंग देखल्यो।
चँदै मामै री किरपा स्यूं ,
पळका मारै सगळा तारा।
आपां भी चमकां चँदा सा,
दिखां भीड़ में सै'स्यूं  न्यारा।
मिल'र अेड़ा काम करांगा।
जीव जगत रा चावै सारा।।

ऊंदर आलूराम /  

आंकड़ेडो क्यूँ  चालै तूं
ऊंदर आलूराम।
जे मिनकी तन्नै देख लियो तो
करसी काम तमाम।
ऊंदर मुक्को ताण'र बोल्यो,
मन्नै ई आवै ताव।
म्हूं  ई आज कर लियो है
इक मिनकी सूं ब्याव।।

दातार रूंख /  

जीवण रा सिंणगार रूंख है,
जीवण रा आधार रूंख है
ठिगणां लांबा मोटा पतळा,
भांत भंतीला डार रूंख है।
आसमान में बादळ ल्यावै,
बिरखा रा हथियार रूंख है।
बीमारां नै दवा अै देवै,
प्राणवायु औजार रूंख है।
रबड़ कागद लकड़ी देवै,
पाखियां रा घरबार रूंख है।
ठंडी छिंयां फळ अै देवै,
कित्ता अै दातार रूंख है।
खुद नै समर्पित करण आळा,
ईश्वर रा औतार रूंख है।।

दियाळी /  

दिवळां रौ त्यूंहार  दियाळी,
आओ दीप जळावां।
भीतर रै अंधारै नै आपां,
रळमिल दूर भगावां।
घरां री करल्यां साफ सफाई,
लडिय़ां घणी सजावां।
अनार-पटाखा-बम-फुलझड़ी,
चकरी घणी चलावां।
हलुवो-पूड़ी-भुजिया-मट्ठी,
कूद-कूद'र खावां।
चोखा-चोखा पैह्र'र गाभा,
घर-घर मिलणनै जावां।।

ढोल  /  

बंकू बांदर बोल्यो-माऊ,
आज दिरादे ढोल।
रोजिना टरकावै मन्नै,
नीं चालसी पोल।
माऊ बोली-खड़का हुयसी,
किंयां दिराऊं बोल।
बंकू बोल्यो-सगळा सोयसी
पछै बजास्यूं ढोल।।

होळी मनावां /  

चंग बजावां रळमिल गावां,
आओ आपां रंग लगावां।
जात-पांत री भींतां तोड़ां,
भाईपणै री रीत निभावां।
भर पिचकारी रंगद्यां गाभा,
डांडिया खेलां रास रचावां।
गालां माथै इक दूजै रै
सतरंगियो गुलाल लगावां।
टाबरटोली रळमिल सगळा,
रापटरोळी घणी मचावां।
बैर-दुसमणी भूलां आपां,
होळी रौ त्यूंहार  मनावां।।

बिरखा /  

छम-छम-छम-छम बिरखा आवै,
रळमिल सगळा टाबर न्हावै।
आभै में जद बिजळी कड़कै,
टाबरियां रौ मन घबरावै।
टर्र-टर्र डेडरिया बोलै,
लागै जाणै गीत सुणावै।
आगै-लारै बादळ भाजै,
मिल'र सगळा रेल बणावै।
खोल'र पांख्यां छातो ताणै,
मोर आपरो नाच दिखावै।
पोळमपोळ नदी-नाळा में,
कागद री सै' नाव चलावै।
बिरखा बंद हुयां आभै में,
सतरंगियो झट स्यूं  दिख ज्यावै।।
-  , 
10/22 आर.एच.बी. कॉलोनी,
हनुमानगढ़ जं. - 335512

नाम :  , =जन्म :  प्रमाण पत्र के अनुसार 15 जुलाई, 1956, =जन्म  स्थान : जसाना, तहसील: नोहर, जिला: हनुमानगढ़, राजस्थान, =शिक्षा: एम.कॉम., (व्यावसायिक प्रशासन, 1981), पी.जी.डिप्लोमा इन जर्नलिज्म (1985) राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर। =स्काउट मास्टर बेसिक कोर्स (1979, 1990)
=साहित्य सृजन : हिन्दी व राजस्थानी में 1975 से सतत् सृजन, =मूल विधा: बाल साहित्य, लेखन:    हिन्दी व राजस्थानी दोनों भाषाओं में 1975 से सतत सृजन।=विशेष प्रकाशन : ''हिन्दी-राजस्थानी-अंग्रेजी''  में तीन दर्जन पुस्तकें प्रकाशित। =संग्रहों में प्रकाशित : देशभर की अनेक बाल पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित =''डॉ.प्रभाकर माचवे : सौ दृष्टिकोण'' सहित शिक्षा विभाग राजस्थान के शिक्षक दिवस प्रकाशनों में रचनाएं प्रकाशित।  =तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा 17 नवम्बर, 2005 को जयपुर में अंग्रेजी बाल नाट्य कृति 'द ड्रीम्स' का लोकार्पण। =महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती देवीसिंह प्रतिभा पाटिल की ओर से बाल दिवस, 2007 की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में सम्मान। =अनेक पुस्तकों एवं स्मारिकाओं का संपादन।=प्रसारण : आकाशवाणी से व्यंग्य, कहानियां, कविताएं , रूपक, झलकी आदि समय-समय पर प्रसारित। =दूरदर्शन से साक्षात्कार एवं कविताएं प्रसारित। =आकाशवाणी से राज्य स्तर पर अब तक पंद्रह रेडियो नाटक प्रसारित।  =संस्थापक/अध्यक्ष : राजस्थान बाल कल्याण परिषद्, =संस्थापक/अध्यक्ष : राजस्थान साहित्य परिषद्, =साहित्य संपादक (मानद)  टाबर टोल़ी (बच्चों का अ$खबार) = संपादक (मानद) कानिया मानिया कुर्र (बच्चों का राजस्थानी अखबार) =संपादक (मानद) पारस मणि (बच्चों की  राजस्थानी तिमाही पत्रिका)
=पुरस्कार एवं सम्मान : =केन्द्रीय साहित्य अकादमी, नई दिल्ली से निबन्ध (संस्मरण) 'बाळपणै री बातां'' पर राजस्थानी बाल साहित्य पुरस्कार घोषित (2012)
=राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर से  ''डॉ.शम्भूदयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार''  (1988-89),
=राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर से  ''जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य पुरस्कार''  (1998-99),
=अखिल भारतीय बाल कल्याण संस्थान, कानपुर से  ''बाल साहित्यिक सेवाओं के लिए सम्मान''  (1998-99),
=शकुन्तला सिरोठिया बाल कहानी पुरस्कार, इलाहाबाद (1988-89), =कमला चौहान स्मृति ट्रस्ट, देहरादून से  ''सर्वश्रेष्ठ बाल साहित्य का राष्ट्रीय पुरस्कार''  (2001),
=ग्राम पंचायत, नगर परिषद् तथा जिला प्रशासन की ओर से  ''साहित्यिक सेवाओं के लिए समय-समय पर सम्मान'' ।
=इक्यावन हजार रुपये की साहित्यिक पुस्तकें दान में देने पर अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर सर्वाधिक पुस्तक दानदाता के राज्य स्तरीय पुरस्कार से बिड़ला सभागार, जयपुर में सार्वजनिक सम्मान (2005)
=बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भटनेर महर्षि गौतम सेवा समिति, हनुमानगढ़ की ओर से सम्मानित (2005)
=सृजनशील बाल साहित्य रचनाकारों की राष्ट्रीय संस्था बाल चेतना, जयपुर की ओर से  ''सीतादेवी श्रीवास्तव स्मृति सम्मान''  (2006)
=बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए राजस्थान ब्राह्मण महासभा की ओर से सार्वजनिक सम्मान (2009)
=बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भटनेर महर्षि गौतम सेवा समिति, हनुमानगढ़ की ओर से सम्मानित (2009)
=चूरू में साहित्यिक सेवाओं के लिए समारोह आयोजित कर सार्वजनिक सम्मान (2010),
=नोहर (हनुमानगढ़) में बाल साहित्य में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए वरिष्ठ साहित्यकार स्व.रामकुमार ओझा की स्मृति में पुरस्कृत एवं सार्वजनिक रूप से सम्मानित (2010)। =राजस्थानी बाल संस्मरण पुस्तक 'बाळपणै री बातां' के लिए स्व. श्री घीसूलाल सेन स्मृति बाल वाटिका पुरस्कार (2011)
विशेष : =डॉ.भीमराव अंबेडकर राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, श्रीगंगानगर की एम.फिल. (हिन्दी साहित्य) की छात्रा प्रदीप कौर ने हिन्दी साहित्य की व्याख्याता डॉ.नवज्योत भनोत के निर्देशन में महाराज गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर को  सत्र 2009-10 में  लघु शोध प्रबंध  ''  का बाल साहित्य : एक अध्ययन''  एम.फिल. (हिन्दी साहित्य) के चतुर्थ प्रश्न पत्र हेतु प्रस्तुत किया।
= माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान की ओर से आयोजित क्षेत्र के प्रसिद्ध साहित्यकार के प्रोजेक्ट निर्माण योजना के अंतर्गत  ''बाल साहित्यकार   का व्यक्तित्व एवं कृतित्व'' विषय पर राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, मक्कासर, हनुमानगढ़, राजस्थान की वरिष्ठ अध्यापिका श्रीमती उर्वशी बिश्नोई के निर्देशन में सीनियर सैकण्डरी कक्षा की छात्रा कु.रेणु बाला ने  सत्र 2010-11 में प्रोजेक्ट का निर्माण किया।

संप्रति : राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग राजस्थान में 18 फरवरी 1983 से सेवारत।

पता : 10/22, आर.एच.बी.कॉलोनी, हनुमानगढ़ जं.-335512, राज., 

E mail : deen.taabar@gmail.com,
Blog : www.deendayalsharma.blogspot.com

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